क्या हो रहा है ये और क्यों, अब तो लफ्ज भी नहीं बचे इस विषय पर प्रतिक्रिया के लिए, कितने हैवान है ये लोग और कितनी हैवानियत है इनमे, किस मिटटी से बने है ये लोग यार क्या इनका जन्म किसी और दुनिया में हुआ है, क्या इनके कलेजे में ममता और आँखों में शर्म नहीं है, क्या इनको किसी औरत ने नहीं जन्मा है? आखिर कौन है ये लो। हर रोज एक नई खबर? हर रोज एक नई निर्भय। आखिर कब तक और क्यों?
कब तक हम न्यूज़ चैनल पे तो कभी सोशल मीडिया पे अपना गाला फाड़ते रहेंगे? कब और समय आएगा की यैसा करना तो दूर यैसा सोचने वालो की छाती फाड् दी जाएगी? आखिर कब?
एक खबर की आग अभी ठंडी भी नहीं होती की दूसरी आ जाती है? कभी हाथरस तो कभी अजमेर तो कभी हैदराबाद तो कभी दिल्ली, जगह बदल रहे है लेकिन ये दरिंदगी काम नहीं हो रही है।
उसमे भी कमल की बात ये की हमारे रक्षक ही भक्षक बने बैठे है, जितनी जल्दी इन्हे लाश को जलने और सबूत मिटाने की होती है उतनी अगर ये दरिंदो को पकड़ने में और उनको अंजाम तक पहुंचने में करे तो हमारे देश की बेटियां सुरक्षित महसूस करे।
इस बार भी क्या हुआ होगा वही किसी ऊँची जात या ऊँचे स्टेटस वाले के बेटे और रिश्तेदार ने ये दरिंदगी की होगी जिसे बचाने में हमारा पूरा सिस्टम दिन रात एक किये हुए है। करो खूब म्हणत करो लेकिन याद रखना कल को तुम्हारे ही घरो में जिस सेंध लगाने लगे उस दिन सर पकड़ के बैठ के बस यही सोचना की कहा कहा सेंध बंद करू।
ये वो आस्तीन के सांप है जो किसी के नहीं होते। अरे चाटो न तलबे चाटो, नेताओ के चाटो अपने अधिकारियो की चाटो लेकिन किसी गरीब और किसी की लड़की की अस्मिता से क्यों खेलते हो।
कौन सा श्राप और कौन सी गली दी जाये तुम्हे जो तुम्हारा जमीर जाग जाये।
बनाइये काउंट डाउन पुरे भारत का, की हर रोज, हर घंटे और हर मिनट में कितने केस दर्ज हुए दरिंदगी के खिलाफ, और उसके एवज में ये भी बनाइये की कितने दरिंदो को सजा मिली या कितने आपके गिरफ्त में है। कोरोना का अपडेट हर चैनल और हर वेबसाइट पे लाइव है लेकिन उससे भी खतरनाक इन गन्दी नाली के कीड़ो का कोई अपडेट नहीं होता।
इंतजार करिये १ हफ्ते में न्यूज़ चैनल से लेके भारत के सभी बुद्धिजीवी इस घटना को भूल जायेंगे और जैसे ही कोई घटना होगी अपनी स्पीच तैयार करेंग।
हर वक़्त आम आदमी ही सडको पर इंसाफ क्यों मांगता है ट्विटर पे तो बड़ी बड़ी बाटे कर दी है हिम्मत तो उतरो सड़क पर उठाओ आवाज, आओ आओ आओ।